औरत, आदमी और छत , भाग 27
भाग,27
सिस्टर वो मिन्नी, मेरा मतलब है मेरी वाईफ?
सर अभी वो अंदर हैं , जैसे ही होश आयेगा, हम कमरे में शिफ्ट कर देंगे।
तभी एक आदमी बाहर आया था, वीरेंद्र बेचैनी से कदम आगे पीछे कर रहा था।
आप मृणाली मैडम के साथ हैं क्या?
हाँ वो ठीक तो है ना?
अंदर आयें आपको डाक्टर साहब बुला रही हैं।
वीरेंद्र ने अंदर जाकर अभिवादन किया था।
डाक्टर ने भी सिर हिला दिया था।आप मृणाली के कौन हैं।
मेरी पत्नी हैं वो मैम।
आपकी बीवी को कोई मानसिक परेशानी है क्या?
नहीं तो मैम ऐसा कुछ भी नहीं है।
खैर मृणाली की हालत अभी ठीक नहीं है, दोनों बच्चों से तो आप मिल ही लिए होगें।
जी मैम,मैम, मृणाली? वीरेंद्र. की आवाज़ बहुत रूआसी सी थी।
आप चिंता न करे मृणाली मेरे लिए भी एक अहम व्यक्तित्व हमारे दो डाक्टर अंदर ही हैं।आप भी दुआ करें।
घिसटते कदमों से बाहर चला गया था वीरेंद्र। उसनें फोन.पर माँ को ये सूचना दे दी थी।
रात का एक बज गया था, मिन्नी जाने कैसी नींद सोई थी कि जाग ही नहीं रही थी।घड़ी की सुईयां सरकती जा रही थी।सरकती सुईयों के साथ वीरेंद्र की धड़कन भी बढ़ती जा रही थी। वो बाहर बरामदे मे पड़ी कुर्सी पर बैठा था।एक सिस्टर ने आकर कह भी दिया था,
आप अंदर कमरे में जाकर आराम करें ,जब मृणाली को शिफ्ट करेंगे तो आप को बता देंगें।
न हीं सिस्टर मैं ठीक हूँ।
तभी कुछ हलचल सी हुई थी,एक डाक्टर नर्स के साथ तेज कदमों से उधर ग ई थी ,जहाँ मिन्नी थी।
मिन्नी की खुली आँखों में एक प्रश्न था,एक तलाश थी।
मृणाली आप ठीक हैं?
मृणाली की आँखों का प्रश्न और बेचैनी डाक्टर समझ ग ई थी।
आपके दो बच्चे हुए हैं मृणाली, बेटी और बेटा। दोनो बच्चे बिल्कुल ठीक हैं।
डाक्टर ने नर्स को चैक अप का इशारा किया और खुद मृणाली की फ़ाइल देखने लग ग ई।
फ़ाइल में कुछ लिख कर डाक्टर ने ओके का इशारा कर दिया था।
डाक्टर को बाहर आते देख दरवाजे पर खड़ा वीरेंद्र उनकी तरफ लपका था।
मैम वो मृणाली कैसी है।
बेहतर है, थोड़ा होश भी आ गया है,आप चाहें तो एक बार देख लें जाकर, पर ज्यादा बात नहीं करना।मैं अभी इन्जेक्शन देकर आई हूँ ।
वीरेंद्र अंदर चला गया था।कैसी कैसी मशीनों. से घिरी थी मिन्नी।
मिन्नी ,उसने उसके हाथ पर हाथ रखा था।उसके स्पर्ष से मिन्नी की बंद आँखें खुल.ग ई थी।
बच्चे?उसनें जैसे गहरी नींद मे से बोला था।
बहुत प्यारे हैं,मिन्नी, बिल्कुल तेरे जैसे।
उसकी स्थिर आँखों में हल्की सी मुस्कराहट तैरी थी ,और आँखें फिर बंद हो ग ई थी।
सिस्टर ये तो फिर बेहोश हो ग ई।
नहीं सर डाक्टर ने इन्हें नींद का इन्जेक्शन दिया है, ये उसी कि असर है,और प्लीज़ अब आप इनसे बात मत करें।
वीरेंद्र बाहर.आ गया था,प्रभात वेला के साढेचार बज चुके थे।वो भी जाकर कमरे में लेट गया था।मिन्नी का मोबाईल बैड पर ही पड़ा था,उसका पर्स भी वहीं तकिये के नीचे था। पर पर्स में पैसे तो मात्र पाँच सौ रूपये ही थे। उसने सब सामान वहीं रख दिया और लेट गया, लेटते ही नींद भी आ ग ई थी।
सुबह के आठ बजे किसी ने दरवाजा खटखटाया तो उसकी आँख खुली थी।
नमस्ते सर, वो मैडम थी न इस कमरे में मैं तो चाय पूछने आया था,कल भी दो बार मंगवाई थी उन्होंने।
कोई बात नहीं आप लै आयें चाय।अभी एक कप ही लाइये गा।
मैडम ????
मेरी वाइफ हैं वो उनकी डिलीवरी हुई है,तो अभी डाक्टर देखो क्या बताते हैं।
साहब मैडम और बैबी ठीक है?
हाँ हाँ सब ठीक है।
मैं अभी लाया चाय सर।
वीरेंद्र ने हाथ मुँह धोया था,तभी चाय आ ग ई थी।
वीरेंद्र पैसे देने लगा तो वो बोला, मैडम ने कल सौ रूपये जमा करवाये थे, अभी तो उनके ही पचास बचते हैं।
कोई बात नहीं सुबह का समय है,आप रखिए, फिर चाय तो आती ही रहेगी।
धन्यवाद साहब।।
वीरेंद्र चाय के सिप लेता हुआ मिन्नी के बारे में सोच रहा था। तभी मिन्नी का फोन बजा था।
मिन्नी बेटा ठीक है ना?
आन्टी नमस्कार, वीरेंद्र बोल रहा हूँ।कल रात को ही ऑपरेशन .हो गया था।बेटी और बेटा हुए हैं।
शुक्र भगवान.का। मिन्नी कैसी है।
उसकी तबीयत थोड़ा ठीक नहीं हैं, अच्छी तरहं होश नहीं आ पाया है, अभी।
मैं आती हूँ कुछ देर में,बच्चों के पास कौन है वीरेंद्र जी।
आन्टी प्लीज आप मुझे जी कह कर न बुलायें, बच्चों को
नर्सरी में रखा है। अभी शायद माँ भी आने वाली होगी।
ठीक है बेटा, मैं छुट्टी लेकर आती हूँ।
जैसा आपको मुनासिब लगे।
वीरेंद्र बाहर आकर सिस्टर से मिन्नी के बारे में पूछते हैं।
सर अभी तो सो ही रही हैं वो,वैसे ठीक हैं मैने चैक कर लिया है।ठीक हैं वो। अभी डाक्टर आयेंगी उन्हें देखने।उस के बाद हम शायद उन्हें रूम में शिफ्ट कर देंगे। बच्चे बिल्कुल ठीक हैं आपके।
तभी माँ आती दिखी थी चचेरे भाई के साथ।
बहू कहाँ है रे, बालक ?
दोनों बच्चे ठीक हैं माँ,डाक्टर ने नर्सरी में रखा था ऐहतियातन।
मिन्नी को अभी डाक्टर आकर कमरे में शिफ्ट करवा देगी।अभी तो वो नींद में है,या फिर दवाइयों का नशा।
पर मिन्नी तो प्राईवेट डाक्टर के पास थी,फिर यहाँ कहानी स तरहं?
माँ यहाँ प्राईवेट से भी ज्यादा संभाल है तेरी बहू की,तूं देख ले,जाकर।
माँ मिन्नी कै देखने आगे बढ़ती है तो नर्से बात करती हुई सुनती है, माँ वहीं रूक जाती हे,इन की बातें खत्म हों तो बहू कि पूछूं वरना ये सरकारी नर्से और डाक्टर, तौबा तौबा।
अभी हेड डाक्टर साहब आ रही हैं,फटाफट यूनिफार्म ठीक कर लो,तुम्हारी डयूटी का टाइम शुरु होने वाला है।
इतनी सुबह हैड डाक्टर?,कोई वी आई पी है।
उस से कम भी नहीं,ये पत्रकार मृणाली हैं,अपनी हेड की खास लग रही हैं।कल पाँच डाक्टर थे यहाँ पर इसकी डिलीवरी के समय। इसको होश नहीं आया था तो रात को दो बार डाक्टर तृष्णा भी आई थी।
अभी ठीक है ये?
हाँ सो रही है अ़भी तो।
मैडम नमस्ते।
हाँ बोलो क्या बात है?
वो मृणाली को मिलना है मेरी बहू है वो।
आन्टी आप थोड़ा इंतजार कर ले प्लीज़,अभी डाक्टर आने वाली है,उन के आने से पहले हम ,नहीं मिलने दे सकते, रात को मृणाली बहुत देर बेहोश रही है,तो हो सकता है,डाक्टर पहले उन के कोई टेस्ट कराये। वैसे आपकी बहू अभी ठीक है।आपके बेटे से तो आज सुबह डाक्टर ने मिलवा भी दिया था।
मैडम मेरे पोता पोती ?
बच्चे बिलकुल ठीक हैं बहुत प्यारे हैं, अभी अगर डाक्टर मृणाली को चैक कर लेगी तो बच्चों को यहीं ले आयेंगे।
माँ हाथ जोड़ देती है, शुक्रिया के तौर पर।
तभीतीन डाक्टर आते हैं और मृणाली के पास जाते हैं।
नर्स भी उनके पीछे पीछे भागती हुई सी जाती है।
मिन्नी जगी हुई थी, शुन्य में जाने क्या ढूंढ रही थी।
मृणाली कैसी हैं आप?
आँखों में जबरन मुस्कराहट लाने की कोशिश की थी मिन्नी ने।
शायद डाक्टर भांप ग ई थी।
एक बार फिर सब टेस्ट के लिए बोल दिया था डाक्टर ने।
मैम मेरे बच्चे। खोई खोई सी आवाज़ थी।
सिस्टर इन को टेस्ट से पहले इन के बच्चे दिखायें।
जी मैम।
इन के टेस्ट रिपोर्ट आते ही मुझे बतायें और इन्हें रूम में शिफ्ट करें। पहले बच्चों को ले आयें।
नर्स और अन्य दोनों डाक्टर भी बाहर चले ग ए थे। हेड डाक्टर अंदर ही थी।
मृणाली कहीं दर्द है क्या?
नहीं डाक्टर साहब ठीक हूँ।
देखो मृणाली कोई समस्या हैतो प्लीज़ मुझे बताओ,ताकि मुझसे तुम्हारे इलाज को लेकर कोई कमी न रहे।
तुम्हारी सारी रिपोर्ट सामान्य हैं।फिर भी तुम इतने घंटे बेहोश रही।हमनें तुम्हारा सीटी स्केन भी करवाया है। सब सामान्य है।
नहीं डाक्टर सा हब मुझे कोई भी दिक्कत नहीं हैं,बस बच्चों को लेकर थोड़ा परेशान हो ग ई थी। मुझसे मिलने भी कोई आया है क्या?
आपके पति तो रात से ही यहाँ हैं।
डाक्टर साहब आप सारे बिल बता देवें, मैं आपको पैसे दे देती हूँ।
आप पहले ठीक हो जायें, अभी तीन चार दिन आप हमारे पास ही हैं।
तभी सिस्टर दोनों बच्चों को ले आई थी।मिन्नी के चेहरे पर मुस्कान आ ग ई थी।
इस बार भी रिपोर्ट सामान्य थी, मिन्नी को और बच्चों को रूम में शिफ्ट कर दिया गया। माँ दीदी सब बहुत ही खुश थे। वीरेंद्र अपने बच्चों के साथ बहुत ही मग्न था, मिन्नी ने माँ से अपना पर्स मांगा था।वो चैकबुक निकाल कर चैक भर ही रही थी कि वीरेंद्र की नज़र पड़ी।
क्या कर रही हो?
अस्पताल की पेमेंट का चैक बना रही हूँ।
रहने दे , मैं कैश दे दूंगा।
मैंने बना दिया है चैक।
तुम एक बार कोई चीज कह दो तो समझ नहीं आती है क्या?
वीरेंद्र ने चैक छीन कर फाड़ दिया था।
ये क्या बद्तमीजी है वीरू ,बहू के साथ ऐसे बोलेगा।
अपनी ब हू को भी समझा लो, मेरे सामने ज्यादा बकवास बाजी की जरूरत नहीं। करेगी ये बिल पेमेंट।
मिन्नी त़ू क्यों करेगी पैमेंट, ये किस के लिए कमाता है?तेरे को क्या जरूरत है?
दो आसूँ आँखों से ढलक कर गालों तक ग ए थे।
मिन्नी क्या बात है बेटी इतने अच्छे मौके पर रोना गलत बात है बेटी,और इस हालत में रोने से आँखें खराब हो जायेंगी।
वीरेंद्र उठ कर बाहर चला गया था।
आज पाँच दिन के हो ग ए थे बच्चे ,सब कुछ ठीक था। आज मिन्नी को छुट्टी मिलने वाली थी।पर वीरेंद्र था कि सुबह से आया ही नहीं था।
तभी नर्स ने एक फाईल आकर मिन्नी को देदी थी, दवाई यां भी समझा दी थी।
सिस्टर बिल ?
आपके हसबैंड ने पै कर दिया है मैडम।
माँ ने वीरू को फोन किया था, वो गाड़ी लेकर आ गया था।
एक खामोशी पसरी थी वीरेंद्र और मिन्नी के बीच। घर आ ग ए थे सब।बच्चों की किलकारियों से ये सूना सा घर चहचहा उठा था।कमला ने आकर सब व्यवस्थित कर दिया था।माँ ने कमला को बोला था,एक महीना सब घरों से छुट्टी ले लो,यहाँ रहो हमारे पास, मैं दूंगी तुम्हें तनख्वाह।
कमला ने मिन्नी की तरफ देखा था।
उधर क्या देख रही हो तुम्हारी दीदी की माँ हूँ मैं,इस घर की बड़ी।ठीक हे कल तुम सुबह ही आ जाना। यहीं खाना खाया करना।
ठीक है माँ जी।
माँ ने सारे सामान की लिस्ट बना कर वीरेंद्र को दे दी थी।सारा सामान रसोई का था,दुकान वाले ने आठ हजार का बिल थमा दिया था।वो तो शुक्र था कि जेब में दस हजार रूपए रखे थे,वरना दुकान वाला क्या सोचता?कभी खरीदा जो नहीं सामान,और मिन्नी घर खर्च के पैसे माँगती ही नहीं थी।वीरेंद्र सोचता सोचता गाड़ी चला रहा था। तभी एक छोटा सा पिल्ला सामने आ गया था,वीरेंद्र ने बहुत ही जल्दी और बड़े तरीकें से ब्रेक लगाकर उसे बचाया था। वो भी कूं कूं करता एक तरफ भाग गया था अचानक उसके होठों पर मुस्कराहट आ ग ई थी।उसे वो वाकया याद आ गया जब शादी से पहले वो और मिन्नी एक बार यूं ही कार में घूम रहे थे तो एख पिल्ले को देखकर चिल्ल ई थी वो,
"वीरेन ,मर गया वो,"और उसनें अपने आँखें ढक ली थी दोनों हाथों से।
पर फिर जब गाड़ी रोख कर वीरेंद्र उसका हाथ पकड़ कर उसे नीचे उतारकर लाया और वो जिंदा पिल्ला दिखाया तो उस सुनसान सड़क पर वो उसके सीने से ही लग ग ई थी थैंक्स वीरेन थैंक्स ए लाट। और वो शरारत से मुस्कुरा दिया था।
"बस इतना ही शुक्राना मिलेगा मैडम,किसी की जान बचाने का
और वो भाग कर गाड़ी मे बैठ ग ई थी शरमा कर।
ये सब जैसे कल ही की तो बात थी,पर अब सब इतनी जल्दी बदल गया है कि???? मिन्नी बदल ग ई है,या फिर मैं ही बदल गया हूँ, उसे मेरा शराब पीना पंसद नहीं ,कुछ कहती तो नहीं, पर घुट कर रह जाती है,एक चुप्पी औढ़ लेगी बात ही नहीं करेगी। हर बात पर मेरा काम है तो मैं ही खर्च करूंगी।
मुझे भी जब गुस्सा आता है तो खूब सुना देता हूँ उसे,भूल जाता हूँ, ये वहीं उदास आँखों वाली लड़की है जिस के पीछे एक म हीना देवदास बना घूमता रहा था। मैं मर जाऊं तो तुम मजे करना, हम साथ नहीं रह सकते, मैं अलग रह लेती हूँ, हमारा शादी का फैसला सही नहीं था।
अब जाओ मैडम कहाँ जाना है, मेरे दो दो बच्चों की अम्मी।
मन ही मन,कुछ नशे का सरूर और कुछ मीठी यादें, वीरेंद्र बड़ी मस्ती से घर पहुंचा था।उसे याद था कि बीवी नाराज है, पाँच छह दिन हो ग ए हैं बात भी नहीं हुई थी।वो उसके कमरे में जाता था बच्चों के साथ खेलता, बात करता बस।
आज मनाता हूँ मैडम को।
गाड़ी घर के अंदर ही रोकी थी दरवाजा खुला ही थी ।माँ शायद कुछ पूजा वगैरह दीये आदि जला रही थी।
गाड़ी रोकते ही वो सीधा अंदर चला गयाथा। मिन्नी शुन्य में तांक रही थी।उसनें जाकर उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया था।
माफ कर दे मिन्नी आईन्दा वही होगा, जो तुम चाहोगी।
मेरी तो कोई चाहत ही नहीं है वीरेन।
अब गुस्सा थूक दे यार, वरना हर आने वाला यूं कहेगा, वीरेंद्र की बीवी खुश नहीं है।उसने उसके सिर को सहलाया था।तभी माँ अंदर आई थी।
वीरू भाई या बहू खाती पीती नहीं कुछ भी,सारा दिन चुपचाप बैठी रहेगी, समझ नहीं आता इसने कै दुख है।
वीरेंद्र का पारा एकदम चढ़ गया था, क्या समस्या है तेरी।
जब भूख लगती है तो खा लेती हूँ बिना भूख कैसे खाऊं?
तभी बाहर किसी ने माँ को आवाज़ दी थी,और वो बाहर चली गई थी।
कहाँ चली गई है भूख तेरी?
आप जानते हैं ?
क्या जानता हूँ मैं।बकवास बंद कर और खाना ढंग से खा लिया कर।और सुन सुबह चाय या नींबू पानी जो भी देना हो अपने हाथ से बना कर दिया कर , सारा दिन खराब हो जाता है। पहले तो आदत डाल दी और अब।
इतने दिन गायब रहते हो तब वो आदत कहाँ जाती है,तब शायद. किसी और की आदत हो जाती होगी।सही कह रही हूँ ना।
तेरा दिमाग खराब हो चुका है,इसलिए बकवास सोचती है,अब काम से बाहर जाओ तो मैडम की शक की सुईयां घूम जाती है।
ये शक नहीं है वीरेन हकीकत है और मुझे से ये हकीकत बर्दाश्त नहीं हो रही, पागल हो चुकी हूँ मैं, मन कर रहा है,या तो कहीं भाग जाऊं या सुसाइड कर लूं।
मिन्नी तूं वाकई पागल हो चुकी है,पर फिर भी एक बात कह देता हूँ यकीन करना डियर तेरी जगह़ जो मेरी ज़़िदगी में है वो कोई नहीं ले सकता।
यानि किसी और की भी जगह़ तो है ना आपकी ज़़िदगी में।
तू क्या चाहती है?एक बार फिर हाथ घूमा था,मिन्नी पर उठने के लिए, पर उसनें खुद ही रोक लिया था।
मारते क्यों नहीं मारो जान से ही मार डालो मुझे ।
दिल और दिमाग का आक्रोश आसूँओं के जरिए बाहर आ रहा था। तभी उसकी बेटी कुनमनाई और फिर आँखे खोल दी थी उसनें ऐसा लग रहा था वह अपनी माँ को देख रही है।
तेरे दिमाग में जो गलत भरा हुआ है न उसे वक्त ही निकालेगा, मेरे बस की बात नहीं है।और ये हर वक्त का रोना बंद कर दे, मैंने कुछ कहा है,तेरे को,बस वही मिन्नी बन जा जिसे देखकर मुझे ज़िंदगी की तलब हुई थी।
तो आप भी वही वीरेन बन जायें न, बदले आप हैं मैं नहीं।
अच्छा बाबा तुम जीती मैं हारा। मैं बदल लेता हूँ खुद को।
वीरेंद्र अपनी बेटी से खेलने लगा था।वो भी उस की बाते सुन रही थी।तूं जल्दी से बड़ी हो जा बेटी, तेरी मंमी हर समय लड़ती है मुझसे।
तभी कमला आई थी ,"साहब.खाना लगा दूं"।
लगा दे, माँ कहाँ है?
वो दीदी के लिए रोटी बना रही हैं।
कमला माँ को बोलो मुझ से नहीं खाया जाता ये सब , मुझे सिम्पल रोटी दे दो,और आज तो मुझे बिलकुल भूख नहीं है।
कमला चली गई थी।माँ ने बड़े इसरार से मिन्नी को घी वाली रोटी खिलाई थी।उनका प्यार और इसरार देखकर मिन्नी का दिल भर आया था।।
सुबह मिन्नी की नींद खुली तो साढे छह बजे थे।कमला उठ कर बेटे का खाना बनाने जा रही थी कि मिन्नी ने उसे रोका, चाय का सब सामान वहीं मंगवा कर चाय बनावाई थी।
"जा दो गिलास पानी और चाय साहब को दे आ।उठा देना।"
आप फोन कर दो दीदी।मिन्नी ने घंटी की तो वीरेंद्र उठ गया था।
साहब दीदी ने चाय भेजी है।
यहाँ रख दो कमला।
तभी उसनें फोन किया था मिन्नी को, मैं चाय पी रहा हूँ मैडम, आप कबूल क्यों नहीं कर लेती कि आप के गुस्से के पीछे मेरे लिए ढेर सारा प्यार छुपा होता है बहुत केयर छिपी होती हे।
उसी का तो नाजायज फायदा उठाते हैं आप।
लो फिर शुरू हो गई न तुम खैर मुझे चाय पीने दो।
सकून के दिन बहुत जल्दी बीत जाते हैं,पता भी नहीं चलता, बच्चे एक महीने के हो ग ए थे। वीरेंद्र और दीदी पार्टी करना चाहते थे।पर माँ का मानना था कि पहले एक साल के बच्चे हो जायें, तब देखेंगे, लोगों की नजर ही खा जाती है। माँ को इस बात का भी बड़ा मलाल था की वीरू और बहू के बीच में खटपट रहती है,इतनी प्यारी जोड़ी है दोनों की जैसे राम और सीता, पर पता नहीं किस की नजर खा ग ई है मेरे बेटे को।
आज हवन था घर में माँ ने खाना और मिठाई अनाथालय में भिजवाई थी।अवारा पशुओं के लिए चारा और गली के कुत्तों के लिए खाना देकर आई थी। माँ को अभी गाँव जाना था कुलदेवता पर प्रसाद चढ़ाने और दीया जलाने, ताकि उस के बाद मिन्नी अपनी सामान्य दिनचर्या में आ सके।
माँ की बहुत दूर की रिशतेदार लड़की सीमा को भी माँ ने बुलाया था आज,ताकि थोड़ा काम संभाल लेगी।और मैं सुबह तक आ पाऊंगी गाँव से तो मिन्नी अकेली परेशान हो जायेगी बच्चों के साथ। दीदी जल्दी वापस चली ग ई थी उन के बच्चों के पेपर थे।
आज वीरेंद्र भी दोस्तों के साथ पार्टी करके लौटा तो पूरे सरूर मे था।वो आते ही दूसरे कमरे में सो गया था।दिन भर की थकान के कारण मिन्नी को भी गहरी नींद आ ग ई थी ।बच्चे दिन में सोते ही नहीं थे।सीमा भी मिन्नी के कमरे में ही सोई थी।
सुबह छह बजे मिन्नी की आँख खुली तो सीमा कमरे में नहीं थी।शायद बाथरूम ग ई हो।
मिन्नी एकाएक उठी और बाहर निकल कर वीरेंद्र के कमरे का दरवाजा हल्के से पीछे कर दिया, वहाँ वीरेंद्र और सीमा रिश्तों और विशवास की सभी मर्यादाओं को लांघ चुके थे।
मिन्नी को लगा जैसे उसके सिर से किसी ने आसमान और पैरों के नीचे से जमीन छीन ली है।वो उस दरवाजे को खुला छोड़ कर अपने कमरे में आ ग ई थी।उसका मन कर रहा था अपनी ज़़िदगी खत्म करले, पर उन तीन मासूम जिंदगियों का क्या होगा जो उसके साथ जुड़ी है।
उसने कृष्णा आन्टी को फ़ोन किया था, "आन्टी जल्दी से मेरा घर साफ करवा दो और एक आने जाने का आटो लेकर यहाँ आ जाओ।"
पर मिन्नी?
प्लीज जल्दी करो आन्टी।.
कृष्णा कोई सवाल नहीं कर पाई थी।
वीरेंद्र अंदर आया था ।
मिन्नी सारी वो नशे में गलती -----
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ओ प्लीज़ नशे में तुम ये भी भूल ग ए , कि तुम किसके साथ हो।आज से मेरा और तुम्हारा हर रिश्ता यहीं और अभी खत्म।
मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई है मिन्नी, पर इस घर को मत टूटने देना प्लीज।
वो गाड़ी लेकर निकल गया था।
मेरे साथ हरबार ही ऐसा क्यों होता है?
क्रमशः
औरत आदमी और छत।
लेखिका, ललिता विम्मी
भिवानी,